ओडीएफ के तहत बन रहे शौचालयों की धनराशि में बड़े स्तर पर हुई हेराफेरी
सीधे लाभार्थी के बजाय लखनऊ की कंपनी को दिया गया निर्माण का जिम्मा
ओडीएफ घोषित होने के तीन महीने होने के बाद भी नही शौचालय का निर्माण
सेके्रटरी व प्रधान ने मिलीभगत कर किया लाखों का गबन
बिना शौचालय निर्माण करवाएं सरकारी पोर्टल पर कराया एमआईएस
डीपीआरओ ने दो और सेके्रटरी को किया निलंबित
स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनावाये जा रहे शौचालय में बड़े स्तर पर *भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है, एक तरफ जहां खुले में शौच मुक्त अभियान को लेकर शासन से लेकर प्रसाशन तक सारे अधिकारी सजग है, वहीं कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के वजह से ओडीएफ जैसी योजना भी फेल होती नजर आ रही है।*
गंगा एक्शन के प्लान के तहत जनपद के गंगा किनारे के 65 गांवों को 31 मई को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था, लेकिन वित्तिय अनियमितता कहें या फिर लापरवाही कि जिन गांवों को ओडीएफ घोषित किया गया था, वहां ओडीएफ घोषित होने के तीन महीने बाद तक एक भी शौचालय नही बना और तो और भ्रष्ट लोगों द्वारा गांवों को एमआईएस के पोर्टल पर ओडीएफ पंजीकृत करा दिया गया साथ ही जो शौचालय निर्माण की राशि सीधे लाभार्थी के खातों में जाना चाहिए व प्रधान व सेके्रटरी के मिलीभगत से लखनऊ की एक कंपनी को दे दिया गया।
धानापुर विकास खंड के रामपुरदिया व हिगुतरगुढ़ गांवों के ग्राम पंचायत अधिकारी त्रिलोकी सिंह व प्रधान ने शौचालय निर्माण के लिए डीएमआर इम्फो सिस्टम विभूति खंड लखनऊ को 24 अप्रैल 2017 को 100.100 शौचालय निर्माण के लिए 12.12 लाख की धनराशि खाता संख्या 10001886 व 20009046 पर दिया था।*
इतने दिनों बाद भी शौचालय निर्माण का कार्य पूरा नही होने पर डीपीआरओ अनिल कुमार सिंह ने पिछले दिनों सेके्रटरी को नोटिस जारी किया था। नोटिस जारी होने के दो महीने बीत जाने के बाद भी नोटिस का जवाब नही मिलने पर डीपीआरओ ने तीन दिन पूर्व सेके्रटरी को कार्य में लापरवाही बरतने व वित्तिय अनियमितता के कारण निलंबित कर दिया था।*
इसके बाद हुये जांच में भ्रष्टाचार की परत दर परत खुलने लगी और एक बाद एक गांवों में वित्तिय अनियमिता तथा लापरवाही सामने आने लगी।
जिसमें चहनियां ब्लाक में के जमालपुर गांव में भी ऐसा ही मामला प्रकाश में आया जहां 13 अप्रैल को ग्राम पंचायत अधिकारी रूस्तम अली ने 100 शौचालयों के निर्माण के लिए उसी कंपनी को 12 लाख रूपये चेक के माध्यम से दिये थे। इसी तरह कैथी गांव में भी 100 शौचालयों के निर्माण के लिए 28 अप्रैल को 12 लाख रूपये कंपनी को दिया गया। वहीं रौना गांव मे ंदो किस्तों में धनराशि चेक के द्वारा दी गई। जिसमें पहली किस्त 23 अप्रैल को 4 लाख 80 हजार व 27 अप्रैल को 3 लाख 60 हजार रूपये की धनराशि कंपनी को चेक द्वारा दिया गया।
इस बाबत डीपीआरओ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि शासन द्वारा दिये गये गाइड लाइन के अनुसार किसी भी सरकारी योजनाओं के तहत निर्माण के लिए एक मुश्त में धनराशि आवंटित नही की जा सकती, लेकिन इन लोगों द्वारा शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ातें हुए वित्तिय अनियमितता व लापरवाही बरता गया है। गंगा किनारे गांवों के ओडीएफ घोषित हुए तीन महीने होने के बाद भी एक भी शौचालय नही बनाए वहीं सरकारी पोर्टल पर एमआईएस भी करा लिया गया।
बतातें चलें कि तीन पूर्व डीपीआरओ अनिल कुमार सिंह ने हिगुतरगढ़ ,रामपुर दिया के सेके्रटरी को शौचालय ना बनवाने और सरकारी धन की हेराफेरी व दुरूपयोग करने के आरोप में सेके्रटरी त्रिलोकी सिंह को निलंबित कर दिया थाए जिसके बाद उन्हे बुधवार की शाम चेकिंग के दौरान सीओ सदर त्रिपुरारी पाण्डेय ने कट्टे व चाकू के साथ गिरफ्तार किया था।
वही इस बाबत डीपीआरओ ने बताया कि मनबढ सेके्रटरी ने फोन पर मुझे व जिला कोआर्डिनेटर स्वच्छ भारत मिशन व कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक संतोष सिंह को जान से मारने की धमकी दिया था।
संवाददाता विक्की वर्मा