अमरोहा-दिल्ली से पकड़े गए संदिग्ध आतंकी कर रहे थे प्री एक्टिवेट सिम का इस्तेमाल
Updated on: 07 December, 2019 09:52 PM
अमरोहा और दिल्ली से पकड़े गए संदिग्ध आतंकी फोन से बात करने के लिए भी प्री एक्टिवेटे प्रीपेड सिम का इस्तेमाल कर रहे थे। यह इसलिए ताकि सर्विलांस सिस्टम के जरिए भी उन तक पहुंचने में सुरक्षा एजेंसियों को दिक्कत न हो। कुछ ऐसे कार्ड भी मिले हैं जिन्हें फर्जी आईडी के साथ एक्टिवेट कराया गया था। एनआईए इन सभी सिमकार्ड से की गईं कॉल्स के बारे में जानकारियां खंगालने में जुटी है।
आंतकियों के पास से एनआईए ने 135 सिमकार्ड बरामद किए हैं। जांच शुरू हुई तो पता चला कि इनमें से 40 सिमकार्ड ऐसे हैं जो प्री एक्टिवेट हैं। यानी इन्हें चालू हालत में ही खरीदा गया था। इसके अलावा 10 सिमकार्ड ऐसे थे जिन्हें एक्टिवेट कराने के लिए फर्जी आईडी का इस्तेमाल किया गया। जो फर्जी आईडी का प्रयोग किया गया है उनमें लखनऊ, अमरोहा और दिल्ली के पतों पर एक्टिवेट कराया गया था। एनआईए टीम ने छापेमारी की तो सभी पते फर्जी निकले। जिन लोगों के नाम पर सिम एक्टिवेट किया गया उनका भी संदिग्ध आतंकियों से कोई कनेक्शन नहीं निकला है।
चार सिम आरोपी के नाम
चार सिम मुख्य आरोपी मास्टरमाइंड मोहम्मद हाफिज के नाम के बरामद हुए हैं। चारों सिम से हाफिज ने किसे किसे कॉल करके बात की है इसके बारे में एनआईए द्वारा जानकारी जुटाई जा रही है।
व्हाट्सएप कॉलिंग का ज्यादा प्रयोग
एनआईए सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान समेत अन्य देशों में भी बात की गई है मगर यहां बात करने के लिए व्हाट्सएप और मैसेंजर कॉलिंग का ज्यादा प्रयोग किया गया है। उसके पीछे कारण भी है। व्हाट्सएप और मैसेंजर कॉलिंग की डिटेल्स पाना बहुत मुश्किल हैं क्योंकि इन दोनों के मदर सर्वर विदेश में लगे हैं जिसके कारण फेसबुक या व्हाट्स एप अपने डाटा शेयर नहीं करती।